नई दिल्ली,एजेंसी-8 फरवरी । केंद्रीय मंत्रिमंडल ने तेलंगाना को लेकर भारी विरोध को दरकिनार कर अलग राज्य के गठन से संबंधित विधेयक को मंजूरी दे दी। इसे 12 फरवरी को संसद में पेश किया जाएगा। इस विवादास्पद विधेयक को मौजूदा स्वरूप में राज्यसभा में पेश किया जाएगा। सरकार विधेयक पर चर्चा के दौरान 32 संशोधन पेश करेगी। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने संसद में तेलंगाना विधेयक पेश करने पर रोक लगाने से शुक्रवार को इनकार कर दिया।
मांगों के बावजूद प्रस्तावित विधेयक में हैदराबाद को केंद्रशासित प्रदेश का दर्जा देने का प्रावधान नहीं है। लेकिन सरकार रॉयलसीमा और उत्तरी तटीय आंध्र के लोगों की चिंताओं पर ध्यान देने के लिए विशेष पैकेज देगी। शुक्रवार को कैबिनेट ने एक विशेष मैराथन बैठक के बाद आंध्र प्रदेश पुनर्गठन विधेयक को मंजूरी दी। इसके बाद पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी की अध्यक्षता में कांग्रेस कोर समूह की बैठक हुई। कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह बैठक में विशेष रूप से आमंत्रित थे। वो आंध्र प्रदेश के प्रभारी हैं।
मंत्रिमंडल की बैठक में राकांपा अध्यक्ष और कृषि मंत्री शरद पवार ने सवाल किया कि क्या राज्यपाल को दिए जा रहे कानून व्यवस्था के अधिकार संविधान के हैं। वह पहले ही तेलंगाना की मजबूत वकालत कर चुके हैं। सूत्रों ने कहा कि पवार ने विधेयक का समर्थन किया, लेकिन उन्होंने जानना चाहा कि सीमांध्र की नई राजधानी के लिए क्या हो रहा है। उन्हें बताया गया कि पूरी लागत की जिम्मेदारी केंद्र की होगी।
केंद्रीय मंत्री पल्लम राजू ने हैदराबाद को केंद्रशासित प्रदेश का दर्जा दिए जाने की वकालत की। इसमें उन्हें सफलता नहीं मिली। राजू सीमांध्र के अपने कुछ अन्य सहयोगियों के साथ राज्य के विभाजन का विरोध कर रहे हैं।
मौजूदा सत्र 15वीं लोकसभा का अंतिम सत्र है। सरकार चाहती है कि इसी सत्र में विधेयक पर चर्चा कर इसे पारित करना चाहिए। आंध्र प्रदेश विधानसभा में विधेयक को पारित न
किए जाने के बाद भी सरकार ने इसे पारित करने का फैसला किया है।
गुरुवार को तेलंगाना पर मंत्रिसमूह ने आंध्र प्रदेश के बंटवारे से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की थी। सीमांध्र के केंद्रीय मंत्रियों ने कहा था कि केंद्र सरकार को सीमांध्र को विशेष पैकेज देना चाहिए। विशेषकर रॉयलसीमा को विशेष पैकेज मिले और नई राजधानी के निर्माण के लिए पर्याप्त धन मुहैया कराया जाए। उनका कहना था कि सीमांध्र के लोगों को तेलंगाना की शैक्षिक और स्वास्थ्य सुविधाओं को प्राप्त करने की अनुमति होनी चाहिए। मंत्रियों ने आग्रह किया था कि मंत्रिसमूह उनकी मांगों को आंध्र प्रदेश पुनर्गठन विधेयक के मसविदे में शामिल करे।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने संसद में तेलंगाना विधेयक पेश करने पर रोक लगाने से शुक्रवार को इनकार कर दिया। अदालत ने कहा कि वह इस चरण में हस्तक्षेप नहीं करना चाहती है। न्यायमूर्ति एचएल दत्तू और न्यायमूर्ति एसए बोबडे की पीठ ने आंध्र प्रदेश में पृथक नए तेलंगाना राज्य के गठन को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर केंद्र को निर्देश जारी करने से साफ इनकार कर दिया। पीठ ने अपने 18 नवंबर 2013 के आदेश का हवाला दिया। जब उसने कहा था कि राज्य के बंटवारे के विरोध से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई करना अभी जल्दबाजी होगी। पीठ ने कहा,‘हम 18 नवंबर 2013 और आज की स्थिति के बीच कोई बदलाव नहीं देखते हैं। इसलिए हम इस समय हस्तक्षेप करने से इनकार करते हैं। हालांकि शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि रिट याचिका में जो बात कही गई है, उस पर उपयुक्त समय पर विचार किया जा सकता है।
प्रस्तावित पृथक तेलंगाना के गठन का विरोध करने वाले विधेयक को संसद में पेश करने पर रोक लगाने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना था कि चूंकि आंध्र प्रदेश विधानसभा ने सर्वसम्मति से मसविदा विधेयक को नामंजूर कर दिया है। इसलिए इसे पेश करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
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