नई दिल्ली,एजेंसी-18 फरवरी। सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत राजीव गांधी के हत्यारों को बड़ी राहत प्रदान करते हुये उनकी फांसी की सजा उम्रकैद में मंगलवार को तब्दील कर दी।
मुख्य न्यायाधीश पी सदाशिवम, न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति एनवी रमन की खंडपीठ ने तीनों दोषियों संतन, मुरुगन और पेरारिवलन की विशेष अनुमति याचिकाओं को स्वीकार करते हुये उनके मृत्युदंड को आजीवन कारावास में बदल दिया।
न्यायालय ने दया याचिकाओं के निपटारे में देरी को आधार बनाते हुये इन दोषियों को राहत प्रदान की। इस मामले की सुनवाई गत चार फरवरी को पूरी कर ली गयी थी और फैसला सुरक्षा रख लिया गया था।
राजीव गांधी के हत्यारों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी ने दलील दी थी कि दया याचिकाओं के निपटारे में अत्यधिक विलंब के कारण उनके मुवक्किलों को काफी वेदना सहनी पड़ी है। अपीलकर्ताओं की यह भी दलील थी कि उनकी दया याचिकाओं के बाद दायर दया याचिकाओं का निपटारा पहले कर दिया गया, लेकिन उनकी याचिकाओं को सरकार ने लंबित रखा था।
हालांकि केन्द्र सरकार ने इनकी दलीलों का जोरदार विरोध करते हुए कहा था कि दया याचिकाओं के निपटारे में विलंब अनुचित और अस्पष्ट नहीं था। इसलिए इस आधार पर फांसी की सजा को उम्रकैद में बदलने का यह उचित मामला नहीं है।
शीर्ष अदालत ने मई 2012 में राजीव गांधी हत्याकांड के दोषियों की मौत की सजा के खिलाफ दायर याचिकाओं पर विचार करके निर्णय करने का निश्चय किया था। न्यायालय ने मद्रास हाईकोर्ट को निर्देश दिया था कि तीनों की याचिकायें उसके पास भेज दी जायें।
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