नई दिल्ली,एजेंसी-26 मार्च। ‘वाराणसी के दंगल में कांग्रेस भी कूदने को तैयार’
अरविंद केजरीवाल ने वाराणसी के बेनियाबाग में सभा करके एक संदेश साफ दे दिया है कि भाजपा उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के लिए काशी की लड़ाई बहुत ही मुश्किल होने जा रही है। इस बीच कांग्रेस ने भी बुधवार को वाराणसी सीट से अपने उम्मीदवार के बारे में चल रहे चिंतन का संकेत दिया है। कांग्रेस के एक वर्ग के नेता कोशिश कर रहे हैं कि वाराणसी सीट को मोदी बनाम केजरीवाल के बीच मुकाबला मानकर किसी लोकल उम्मीदवार को चुनाव में उतार दिया जाए और अपनी ताकत को अन्य सीटों पर लगाया जाए, लेकिन वहीं कांग्रेस के बड़े नेताओं का दूसरा वर्ग ऐसा भी है जो कोशिश कर रहा है कि नरेंद्र मोदी को वाराणसी में जबरदस्त मुकाबला दिया जाए और उनको हराने के लिए चुनाव उतारा जाए। कांग्रेस प्रवक्ता ने बताया कि कुछ लोकल उम्मीदवारों पर भी चर्चा हो रही है लेकिन दिल्ली से भी किसी हाई प्रोफाइल उम्मीदवार को भेजा जा सकता है। दिल्ली से जाने वाले कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह को भेजा जा सकता है। अपना दल वाले सोने लाल पटेल की बेटी अनुप्रिया पटेल से भाजपा ने चुनावी समझौता कर लिया है और अब उम्मीद की जा रही है कि उनकी बिरादरी के सवा लाख वोट नरेंद्र मोदी को मिल जाएंगे। वाराणसी संसदीय क्षेत्र के मतदाता के रूप में रजिस्टर्ड करीब 75 हजार कुर्मी वोट भी उनको मिल जाएंगे। बहरहाल यह बात तो पूरी तरह से तय हो गई है कि वाराणसी में कोई लहर नहीं है।
भाजपा वाले अपने प्रधानमंत्री पद के दावेदार को जिताने के लिए कोई भी तिकडम कर सकते हैं।
वाराणसी संसदीय क्षेत्र के मतदाता के रूप में रजिस्टर्ड करीब 75 हजार कुर्मी वोट भी उनको मिल जाएंगे। बहरहाल यह बात तो पूरी तरह से तय हो गई है कि वाराणसी में कोई लहर नहीं है। भाजपा वाले अपने प्रधानमंत्री पद के दावेदार को जिताने के लिए कोई भी तिकडम कर सकते हैं। कांग्रेस के नेताओं की सोच है कि दिग्विजय सिंह को वाराणसी के करीब चार लाख मुसलमानों का वोट मिलेगा। इसके अलावा उनको समाजवादी पार्टी का समर्थन भी मिल सकता है क्योंकि, रायबरेली, अमेठी , कन्नौज और मैनपुरी में दोनों पार्टियों में समझौता है। इस बात की संभावना है कि वाराणसी में मुलायम सिंह यादव भी मुसलमानों के हीरो दिग्विजय सिंह को समर्थन कर देंगे। वाराणसी में करीब डेढ़ लाख यादव मतदाता हैं। इस तरह नरेंद्र मोदी को जबरदस्त चुनौती मिल सकती है। इसके अलावा दिग्विजय सिंह को उनके पूर्वज संत पीपा जी महराज के अनुयायियों का समर्थन भी मिल सकता है। संत पीपा जी खींची चौहान थे और दिग्विजय सिंह के पूर्वज थे। काशी के स्वामी रामानंद जी के बारह चेलों में पीपा जी का नाम भी आता है। काशी में रामानंदी सम्प्रदाय का भारी असर है। जानकार बताते हैं कि उनके बड़े वर्ग का समर्थन दिग्विजय सिंह को मिलेगा इसलिए उनके नाम पर कोई भी धार्मिक धु्रवीकरण नहीं किया जा सकता। कबीरपंथियों के बड़े संत संत विवेक दास जी भी दिग्विजय सिंह को समर्थन दे सकते हैं। इस सोच के तहत अब इस बात की संभावना है कि कांग्रेस अपने महासचिव दिग्विजय सिंह को वाराणसी में उम्मीदवार बनाएगी।
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