अपने आशियानों पर नगर निगम के बुलडोजरों का खतरा झेल रहे मुंबई की कैंपा कोला सोसाइटी के फ्लैट मालिकों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिल गई है। सुप्रीम कोर्ट ने न सिर्फ उनके फ्लैट ढहाने पर 31 मई, 2014 तक अंतरिम रोक लगा दी है बल्कि समस्या के स्थायी हल की उम्मीदों के दरवाजे भी खोल दिए हैं। न्यायमूर्ति जीएम सिंघवी की अध्यक्षता वाली पीठ ने बुधवार को मीडिया में आई खबरों पर स्वत: संज्ञान लेते हुए स्थगनादेश जारी कर दिया।
मुंबई हाई कोर्ट के बाद खुद सुप्रीम कोर्ट ने ही सोसाइटी के 102 फ्लैटों को अवैध ठहराते हुए उन्हें ढहाने का आदेश दिया था। कोर्ट द्वारा तय समय सीमा 11 नवंबर को समाप्त हो गई थी। मंगलवार को अवैध फ्लैटों के बिजली और पानी के कनेक्शन काटने पहुंचे बृहनमुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) के अधिकारियों को लोगों ने सोसाइटी के गेट से अंदर नहीं जाने दिया था। बुधवार को बीएमसी के बुलडोजर भी मौके पर पहुंच गए थे।
सुप्रीम कोर्ट पीठ ने कहा, ‘पिछली सुनवाई पर हमें बताया गया था कि 75 फीसद लोगों ने फ्लैट खाली कर दिए हैं, लेकिन मीडिया की रिपोर्ट से ऐसा नहीं लगता। काफी लोगों ने फ्लैट खाली नहीं किए हैं। लगता है कई को वैकल्पिक जगह नहीं मिली।’ पीठ ने इसके साथ ही अटॉर्नी जनरल जीई वाहनवती से मंगलवार तक प्रभावित फ्लैट मालिकों की समस्या के स्थायी हल के बारे में सुझाव मांगे हैं ताकि समस्या का कोई स्थायी विकल्प निकल सके।
सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल ने कहा कि समस्या गंभीर है। राज्य सरकार ने लोगों की परेशानियों को देखते हुए अध्यादेश लाने के बारे में उनसे राय मांगी थी, लेकिन उन्होंने कोर्ट के आदेश के खिलाफ अध्यादेश लाने की राय नहीं दी। राज्य के एडवोकेट जनरल ने भी इसकी राय नहीं दी थी। वाहनवती ने कहा कि उन्हें एक विकल्प दिख रहा है जिसमें कोर्ट के आदेश की गरिमा भी कायम रहेगी और लोगों को राहत भी मिल जाएगी। उन्होंने कहा कि परिवर्तित नियमों में निर्माण क्षेत्र (एएफएसआई) बढ़ गया है जहां और फ्लैट बन सकते हैं। बढ़े हुए निर्माण क्षेत्र को बिल्डर को न देकर प्रभावित हो रहे लोगों के लिए आरक्षित कर दिया जाए जिस पर वे निर्माण कर सकें। इस तरह उन्हें जमीन की कीमत नहीं देनी पड़ेगी। कोर्ट ने वाहनवती से कहा कि वे बाकी पक्षों के साथ बातचीत कर मंगलवार तक कोर्ट को लिखित सुझाव दें।
आशियाना बचने पर लोगों ने मनाया जश्न
मुंबई : सुप्रीम कोर्ट का स्थगनादेश आते ही कैंपा कोला सोसाइटी के बाशिंदे खुशी से झूम उठे और जमकर आतिशबाजी की। अपना आशियाना बचाने में कामयाब रहे लोगों ने गले लगकर एक-दूसरे को बधाई दी।
शीर्ष अदालत का फैसला आने से कुछ देर पहले तक कैंपा कोला परिसर का नजारा कुछ और था। बीएमसी के बुलडोजर अवैध फ्लैट ढहाने के लिए सुबह ही सोसाइटी के सामने पहुंच गए थे। लोगों ने परिसर का गेट भीतर से बंद कर रखा था और रास्ता रोककर बैठे थे। लोगों और पुलिस के बीच धक्का-मुक्की भी हुई।
क्या है मामला
कैंपा कोला सोसाइटी अहाते में 1981 से 1989 के बीच सात ऊंची इमारतें बनाई गईं। बीएमसी से बिल्डरों को सिर्फ पांच मंजिली इमारतों के निर्माण की इजाजत मिली थी। लेकिन, बिल्डरों ने कई अवैध मंजिलें खड़ी कर दीं। एक इमारत 17 मंजिली तो एक 20 मंजिली है। लंबे समय से कानूनी लड़ाई लड़ रहे फ्लैट मालिकों को सुप्रीम कोर्ट ने भी राहत नहीं दी थी।
”घटना को लेकर मैं बहुत विचलित रहा। रात भर सो नहीं सका, कानूनी मुद्दे के अलावा यह मानवीय समस्या भी है।”
– जस्टिस जीएम सिंघवी