मुजफ्फरनगर,एजेंसी-5 अप्रैल। भाजपा के महासचिव और नरेंद्र मोदी के सबसे भरोसेमंद सहयोगी अमित शाह ने गुरुवार को मुजफ्फरनगर से 40 किलोमीटर दूर राझर गांव में जाट नेताओं से मुलाकात की और विवादित भाषण भी दिया।
अमित शाह ने यहां कहा कि यह चुनाव उस सरकार को बाहर करने का मौका है जिसने जाटों को जुल्म का शिकार बनाया। शाह ने बदला लेने और इज्जत की रक्षा करने की बात कही। यह गांव राजनीतिक रूप से बेहद अहम है क्योंकि यहां बत्तीसा खाप का वर्चस्व है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गन्ना बेल्ट में जाटों के इस समुदाय की खास जगह है।
अमित शाह के साथ भाजपा विधायक सुरेश राणा भी थे। सुरेश राणा दंगा भड़काने के मामले में अभियुक्त हैं। राणा पर आरोप है कि उन्होंने दंगों के दौरान लोगों को उकसाया था।
अंग्रेजी दैनिक इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार मुजफ्फरनगर में ज्यादातर लोगों को पता नहीं था कि अमित शाह शहर में हैं। अमित शाह के बारे में केवल गुजरात पुलिस को पता होता है कि वह किस ओर और कहां से निकल रहे हैं।
उन्होंने पिछली रात मुजफ्फरनगर से हटकर जिस होटेल में गुजारी थी शुक्रवार को उसका पूरा सेकंड फ्लोर अमित शाह और उनके समर्थकों के लिए बुक था। यहां उन्होंने गुर्जर, राजपूत और दलित नेताओं से बारी-बारी मुलाकात की। यहां भी उन्होंने ‘बदला’ को दोहराया। शाह ने कहा कि आदमी बिना भोजन और नींद के जिंदा रह सकता है। यहां तक कि भूख और प्यास के साथ भी जिंदा रहा जा सकता है। लेकिन, अपमान सहकर कोई नहीं रह सकता। अपमान का बदला तो लेना पड़ेगा।
मुजफ्फगनगर के इस फार्महाउस में उन्होंने कहा कि देश संकट से घिरा हुआ है। महंगाई सातवें आसमान पर है। देश की सीमाएं सुरक्षित नहीं हैं। सैनिकों के सिर काटे जा रहे हैं। बांग्लादेश से हिन्दुस्तान में घुसपैठ लगातार जारी है। हमारी महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं क्योंकि सरकार कुछ और करने में व्यस्त है। दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश में दंगों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। किसी मां के लाल में हिम्मत नहीं है कि वह गुजरात में दंगे कराए। वहां नरेंद्र मोदी की सरकार है। मुलायम सिंह यादव की सरकार का व्यवहार पूरी तरह से पक्षपातपूर्ण रहता है।
बताया जाता है कि चुनाव आयोग उनके इस बयान पर स्वत: संज्ञान ले सकता है।