नई दिल्ली,एजेंसी-19 मई। लोकसभा चुनाव में अब तक की हुई सबसे बुरी हार के बाद कांग्रेस कार्य समिति की बैठक सोमवार शाम को यहां होने जा रही है। बैठक पार्टी में नई जान फूंकने के लिए ठोस कदम उठाने के मकसद से कांग्रेस के भीतर से उठ रही राहुल विरोधी आवाज के बीच होने वाली है।
हालांकि किसी ने राहुल गांधी पर प्रत्यक्ष रूप से अंगुली नहीं उठाई लेकिन उनके मुख्य सलाहकारों जयराम रमेश, मोहन गोपाल, मधुसूदन मिस्त्री और मोहन प्रकाश पर सवाल उठ सकते हैं। दिग्विजय सिंह पहले ही अप्रत्यक्ष रूप से राहुल का विरोध कर चुके हैं। इस बीच, अहमद पटेल ने कहा कि हार के लिए राहुल गांधी, सोनिया गांधी को जिम्मेदार ठहराना गलत है। उन्होंने कहा कि राहुल पर सवाल उठाना गलत है। हार के लिए खुद भी जिम्मेदार है।
ऐसे में जबकि पार्टी अपने बेहद खराब प्रदर्शन के कारण खोज रही है, वरिष्ठ मंत्री कमलनाथ ने ‘वंशवाद की राजनीति’ पर पहले ही सतर्क किया है और उनका मानना है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को और स्पष्टवादी होना चाहिए था और संवाद एक बड़ी समस्या रही है।
पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ ‘पूरी तरह संवादहीनता’ को लेकर बैठक में कई केन्द्रीय मंत्रियों को भी पार्टी नेताओं के गुस्से का शिकार होना पड़ सकता है। चूंकि कई केन्द्रीय मंत्रियों ने भारी अंतर से अपनी सीटें गंवाईं हैं, पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ मंत्रियों की पूर्ण संवादहीनता थी और दल के इस खराब प्रदर्शन के लिए उनके ‘अहंकार’ को दोष दिया जाना चाहिए।
जहां पार्टी सूत्रों ने उन खबरों का खंडन किया है कि चुनाव में करारी हार के मद्देनजर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी इस्तीफा देने की पेशकश कर सकते हैं वहीं, बैठक में कुछ नेता पार्टी के चुनाव प्रचार और गठबंधन रणनीति के बारे में असहज सवाल उठा सकते हैं।
राहुल गांधी के कामकाज की शैली के बारे में भी सवाल उठाए जा रहे हैं लेकिन इस बात पर संदेह है कि कोई भी सोनिया की अध्यक्षता में होने वाली बैठक में इस मुद्दे को उठाने का साहस करेगा। राहुल को दोषारोपण से बचाने के लिए पार्टी में पहले ही कवायद शुरू हो चुकी है। सोनिया और राहुल शुक्रवार को मीडिया के समक्ष उपस्थित हुए और पार्टी की करारी हार के लिए व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदारी ली थी।
गौरतलब है कि 16 वीं लोकसभा में 543 सदस्य लोकसभा में कांग्रेस महज 44 सीटों पर सिमट गई है। निवर्तमान लोकसभा में उसे 206 सीटें मिली थीं। पार्टी नेताओं की ओर से मांग है कि हार के कारणों का पता लगाने के लिए समिति गठित करने और फिर उसे भूल जाने की परंपरा इस बार नहीं दोहराई जानी चाहिए।