कुरुक्षेत्र ,(एजेंसी) 12 सितम्बर । हरियाणा में विधानसभा चुनावों की स्थिति अब साफ होने लगी है। हालत यह है कि पार्टियां पीछे छूट रही हैं और नेता आगे आ रहे हैं। वोट पार्टी के नाम पर कम और नेताओं के नाम पर अधिक मांगे जा रहे हैं। यानी अब लोगों की जुबान पर भी बीजेपी न होकर मोदी, कांग्रेस में मुख्यमंत्री हुड्डा और आईएनएलडी में चेहरा चैटाला का है। इसी तरह गठबंधन में एचजेसी सुप्रीमो कुलदीप बिश्नोई दिखाई दे रहे हैं।
क्या इस बार चलेगा मोदी का मैजिक
केन्द्र में बीजेपी की सरकार बनने के बाद समझा जा रहा था कि अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बजाय बीजेपी के नाम पर वोट मिल सकेंगे। लेकिन ऐसा हरियाणा चुनाव में दिखाई नहीं दे रहा। हालांकि, पिछले दिनों हरियाणा में बीजेपी की हालत मजबूत करने के लिए कई दर्जन केन्द्रीय मंत्रियों ने दौरा किया। अगर मोदी मंत्र का सहारा न मिले तो आज भी बीजेपी की हालत कुछ खास नहीं है। ग्रामीण क्षेत्रों में वोटर की जुबान पर मोदी है, लेकिन बीजेपी नहीं। कुछ लोगों का कहना है कि मोदी सरकार बनने के बाद जो उम्मीदें थी वे पूरी नहीं हुई। वहीं, कुछ को मोदी से करिश्मे की उम्मीद है।
विकास के वादें होगें कितने असरदार
माना जा रहा है कि कांग्रेस से बीरेंद्र सिंह के जाने के बाद आपसी कलह काफी कम हो गई है। हालांकि, सच यह भी है कि मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कद का कोई व्यक्ति प्रदेश कांग्रेस में नहीं है। वोट के तौर पर कांग्रेस का विरोध देखने को मिलता है, लेकिन बतौर मुख्यमंत्री हुड्डा को लोग दूसरों के मुकाबले अधिक नंबर दे रहे हैं। यानी यहां भी लोग वोट कांग्रेस को देने के बजाए हुड्डा को देंगे। वजह साफ है, हुड्डा ने करीब-करीब हर वर्ग को लुभाने की कोशिश की है। कुछ सौगातें ऐसी हैं, जो उनकी सरकार बनेगी तभी आम आदमी व प्रदेश के कर्मचारियों को मिल सकेंगी। हुड्डा हर जनसभा में हरियाणा की तुलना गुजरात मॉडल के साथ करते हैं। वे किसी भी जनसभा में बीजेपी के किसी दूसरे नेता का नाम नहीं लेते।
हमदर्दी बदलेगी वोट में
प्रमुख विपक्षी दल आईएनएलडी ने चुनाव में सबसे पहले और सबसे ज्यादा तैयारी कर रखी है। कई क्षेत्रों के लोगों में चै. देवीलाल के बेटे ओमप्रकाश चैटाला व पौत्र अजय सिंह चैटाला के जेल जाने से गुस्सा है। वे लोग इनसे सहानुभूति जता रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि अगर आईएनएलडी सत्ता में आती है तो ओमप्रकाश चैटाला उनके सीएम होंगे। हरियाणा की जनता यहां वोट चैटाला के नाम पर देगी, न कि पार्टी के नाम पर।
गठबंधन बिगाड़ेगा गणित ?
विधानसभा चुनावों में प्रदेश में एक चैथी ताकत उभर रही है। एचजेसी और एचजेसीपी गठबंधन को नकारा नहीं जा सकता। हालांकि , बीएसपी और अन्य दलों ने महागठबंधन का हिस्सा बनने से इनकार कर दिया है , लेकिन यह नया गठबंधन दिग्गजों के खेल को बिगाड़ भी सकता है। अनिश्चितता के इस खेल में सरकार को बनाने की भूमिका में गठबंधन का अहम योगदान हो सकता है।
महागठबंधन पर पार्टियों ने तरेरी आंखें
हरियाणा जनहित कांग्रेस को झटका देते हुए महागठबंधन के संभावित दलों ने किनारा कर लिया है। हरियाणा लोकहित पार्टी के अध्यक्ष गोपाल कांडा ने महागठबंधन की तमाम संभावनाओं को नकारते हुए कहा है कि प्रदेश की जनता से नकारे जा चुके दल महागठबंधन की अफवाहें फैलाकर मुद्दों को भटका रहे हैं। कांडा ने चुटकी ली कि इस चुनाव में अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही हरियाणा जनहित कांग्रेस और जनचेतना पार्टी के लिए यह अंतिम चुनाव साबित होगा।
बीएसपी की तरफ से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार अरविंद शर्मा ने साफ कर दिया कि पार्टी सुप्रीमों मायावती ने हरियाणा के चुनाव में ऐसे किसी महागठबंधन की संभावनाओं को खारिज कर दिया है। बीएसपी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश सरन ने कहा है कि पार्टी राज्य की सभी 90 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी।
कुछ साल पहले सक्रिय हुई समस्त भारतीय पार्टी ने भी महागठबंधन को अफवाह करार दिया है। पार्टी के प्रवक्ता नितिन बंसल ने कहा कि उनकी पार्टी अपनी विचारधारा पर चुनाव लड़ रही है और हम ऐसी किसी गतिविधि में शामिल तक नहीं हुए थे।