लखनऊ ,(एजेंसी ) 14 सितम्बर । देर से ही सही विकास के लिए यूपी सरकार के अधिकारी आखिर कुछ तो चेते। इस वित्तीय साल के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क, पुल, सिंचाई, कृषि आदि के लिए राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) से मिलने वाले धन के लिए अधिकारियों ने अपने अपने विभागों की योजनाएं वित्त विभाग को सौंप दी है। विभागों को नाबार्ड से 2000 करोड़ रुपये इस वित्तीय साल के लिए स्वीकृत हुआ है। इस वित्तीय साल को शुरू हुए पांच महीना बीत चुका है लेकिन अभी तक विभाग अपनी योजनाएं ही नहीं बना पाए थे कि उन्हें 2000 करोड़ से कौन कौन से विकास कार्य कराने हैं।
क्या कहते हैं नियम :-
नियमों के अनुसार नया वित्तीय साल शुरू होने के हर तीसरे महीने वित्त और अन्य विभागों के बीच हाई पावर कमिटी की बैठक होनी चाहिए। इस साल अप्रैल से अगस्त तक पांच महीने के दौरान एक बार भी हाई पावर कमिटी की बैठक नहीं हो सकी थी जिसके कारण नाबार्ड से विभागों को 2000 करोड़ रुपये नहीं मिल पाया है। एक सितंबर को प्रमुख सचिव वित्त की अध्यक्षता में हुई हाईपावर कमिटी की बैठक हुई जिसमें विभागों ने 2688 करोड़ रुपये की परियोजनाएं स्वीकृत के लिए नाबार्ड को भेजे जाने का निर्णय लिया है। पिछले साल नाबार्ड की ओर से विकास योजनाओं के लिए 2200 करोड़ रुपये की मंजूरी मिली थी जिसके बदले विभागों को महज 1800 करोड़ रुपये ही मिल पाए थे। सूत्र बताते हैं कि पिछले साल भी विभागों की लेट लतीफी के चलते 400 करोड़ रुपये नहीं मिल पाया था। जिसका नतीजा यह रहा कि इस वित्तीय साल के लिए नाबार्ड ने 2200 करोड़ के बजाए महज 2000 करोड़ रुपये ही देने का मन बनाया है।
किसने कितने की मांग की :-
सिंचाई विभाग की परियोजनाओं के लिए – रू 1200 करोड़
ग्रामीण संपर्क मार्ग के लिए – रू 600 करोड़
ग्रामीण सेतु के लिए – रू 200 करोड़
वन विभाग के लिए – रू 118 करोड़
लघु सिंचाई के लिए – रू 175 करोड़
कृषि के लिए – रू 200 करोड़
माध्यमिक शिक्षा के लिए – रू 50 करोड़
बाल विकास के लिए – रू 125 करोड़
पशुधन के लिए – रू 20 करोड