‘‘यूपी का असल चेहरा तो गांवों में ही बसता है। सपा पूरे यूपी को आर्थिक रूप से सशक्त करना चाहती है। अगर गांवों का अर्थतंत्र सुधर गया तो उसका असर हर जगह दिखेगा। हर गांव में उद्योग लगाने की कोशिश के साथ ही गांवों के लिए कुछ और योजनाएं भी दी जा रही हैं।‘‘
-नारद मंत्री , संयोजक , सपा राष्ट्रीय अधिवेशन
लखनऊ(एजेंसी) 06 अक्टूबर । लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद सपा को फिर से गांव-देहात की याद आई है। पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन में गांवों के अर्थशास्त्र को मजबूती देने के बहाने गांवों में वोटबैंक की मजबूती का गणित समझा जाएगा। समाजवादी पार्टी अपने राष्ट्रीय अधिवेशन में गांवों को ‘इकोनॉमिकली पावरफुल‘ बनाने के लिए आर्थिक सुधार का प्रस्ताव रखेगी। पूरा जोर इस बात पर होगा कि कैसे गांवों का अर्थशास्त्र मजबूत किया जाए। इस प्रस्ताव में सरकार की ओर से गांवों में उद्योग लगाने, निवेश करने और रोजगार देने के तरीकों पर भी फोकस होगा। आठ अक्टूबर से शुरू हो रहे राष्ट्रीय अधिवेशन में यूपी सरकार की ओर से अब तक यूपी का आर्थिक नक्शा बदलने के लिए की गई कोशिशें भी रखी जाएंगी।
नहीं चमका आधुनिक चेहरा:
सपा ने लोकसभा चुनावों से पहले खुद को आधुनिक दिखाने की कोशिश की थी। सरकार की ओर से लैपटॉप, टैबलेट वितरण, आईटी सिटी, मेट्रो, साइकिल ट्रैक के साथ-साथ शहरी औद्योगिकीकरण और निवेश को बढ़ा-चढ़ा कर प्रस्तुत किया गया था। बाद में कई योजनाएं बंद करनी पड़ीं।
लोकसभा चुनावों में भी पार्टी को शहरी मतदाताओं ने पूरी तरह से नकार दिया। पार्टी के थिंक टैंक का मानना है कि सपा को ज्यादातर समर्थन भी गांवों से ही मिलता है। इस बार हुए उपचुनाव में तीन शहरी सीटों को छोड़कर बाकी आठ ग्रामीण सीटों पर सफलता मिली। सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव लगातार ग्रामीण जनता से जुड़ने वाली बातों को ही आगे करते रहे हैं।
इसलिए पार्टी ने परम्परागत तरीके को फिर से अपनाते हुए आर्थिक मोर्चे पर गांवों को समृद्ध बनाने पर जोर दे रही है। केंद्र सरकार की कई योजनाओं को गांवों तक सही ढंग से लागू किया जा रहा है। 7500 करोड़ की राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना को जमीनी स्तर तक पहुंचाया जा रहा है।
यह होगा प्रस्ताव में
हर गांव में कम से कम एक खादी और कुटीर उद्योग लगाया जाए। इसके लिए गांवों में रोजगार लगाने के इच्छुक युवक-युवतियों को मदद दी जाए। जल्दी ही सरकार की ओर से इसके लिए आर्थिक मदद की घोषणा की जा सकती है।
गांवों में भी निवेश हो और कुटीर उद्योग लगाए जाएं। इसके लिए मुख्यमंत्री की विकास निधि से दस लाख रुपये और प्रधानमंत्री रोजगार योजना से 25 लाख रुपये तक की मदद मिल सकती है।
खादी ग्रामोद्योग विभाग , लघु उद्योग विभाग गांवों में उद्योग लगाने के लिए आर्थिक और तकनीकी मदद दे सकते हैं।
सरकार की ओर से उद्योग लगाने के लिए युवकों को प्रफेशनली ट्रेंड किया जाए। ट्रेनिंग के जरिए भी ग्रामीण युवकों को उद्योग लगाने के लिए प्रेरित किया जा सकता है।
गांवों पर फोकस
गांवों में डेयरी उद्योगों को अत्याधुनिक बनाने की कोशिश। इसके लिए नीदरलैण्ड्स के साथ करार।
गांवों के लिए एक से पांच मेगावाट के सोलर प्लांट लगाने को मंजूरी। इन सोलर प्लांट्स से छोटे उद्योग चलाए जा सकते हैं।
खेती किसानी के लिए सरकार अलग से देगी बिजली का फीडर।
तहसील मुख्यालयों को जोड़ने के लिए फोरलेन बनाए जाएंगे। इससे गांव सीधे शहरों से जुड़ सकेंगे।