नई दिल्ली , (एजेंसी) 29 अक्टूबर । ब्लैक मनी की जांच के लिए गठित एसआईटी के चेयरमैन जस्टिस एमबी शाह ने कहा कि सरकार द्वारा सुप्रीम को सौंपी गई विदेशी खाताधारकों की नई लिस्ट में कुछ भी नई जानकारी नहीं है। शाह ने कहा कि उन्हें नहीं लगता है कि नई लिस्ट में कुछ भी अर्थपूर्ण है। यह लिस्ट पहले वाली की तरह ही है। इसके बारे में हमें पता है और हम पूछताछ कर रहे हैं।
सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सौंपी 627 नामों की लिस्ट
केंद्र सरकार ने बुधवार को ही स्विस बैंक में अकाउंट रखने वाले 627 भारतीयों के नाम सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट को सौंपे थे। केंद्र सरकार ने कहा था कि उसने सभी खाताधारकों के नाम 27 जून को एसआईटी को सौंप दिए थे।
शाह ने कहा कि उनकी जांच में पिछले कुछ दिनों में कुछ भी नई बात सामने नहीं आई है। शाह ने कहा कि रिपोर्ट के सभी फैक्ट्स से एसआईटी पहले से ही वाकिफ है। उन्होंने कहा, ‘जो भी तथ्य दिए गए हैं, एसआईटी के सदस्यों को उसकी जानकारी पहले से है। हम इस बारे में संतोषजनक रिपोर्ट समय पर सौंपेंगे।‘
शाह ने कहा कि इस मामले की जांच चल रही है और रिपोर्ट को फाइल करने में समय लगेगा। उन्होंने कहा, ‘यह जांच काफी चुनौतीपूर्ण है। यह आसान नहीं है, क्योंकि जब कोई विभाग भी नोटिस जारी करता है, तो उसमें समय लगता है। हम अगस्त में पहली रिपोर्ट फाइल कर चुके हैं। मुझे उम्मीद है कि हम फाइनल रिपोर्ट अगले साल तक फाइल कर देंगे।‘ शाह ने केंद्र सरकार का बचाव करते हुए कहा उन्हें नहीं लगता है कि केंद्र सरकार इस मामले में किसी को बचाने की कोशिश कर रही है।
इसलिए नाम बताने से बच रही थी सरकार
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद केंद्र सरकार ने बुधवार सुबह स्विस बैंक में अकाउंट रखने वाले 627 भारतीयों के नाम सीलबंद लिफाफे में कोर्ट को सौंपे थे। चीफ जस्टिस एच एल दत्तू की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्र द्वारा पेश की गई सूची के सीलबंद लिफाफे को नहीं खोला और कहा कि इसे केवल विशेष जांच दल (एसआईटी) के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष ही खोलें। शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया कि एसआईटी नवंबर के अंत तक स्टेटस रिपोर्ट दे और 31 मार्च 2015 तक इन खातों की जांच पूरी कर करे।
सीलबंद लिफाफे में तीन दस्तावेज हैं, जिसमें सरकार का फ्रांसीसी सरकार के साथ हुआ पत्र व्यवहार, नामों की सूची और स्टेटस रिपोर्ट शामिल हैं। बेंच के सामने दस्तावेज पेश करते हुए अटर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि खाताधारकों के बारे में ब्योरा वर्ष 2006 का है, जिसे फ्रांसीसी सरकार ने वर्ष 2011 में केंद्र सरकार को भेजा था। उन्होंने बताया कि जिनीवा में एचएसबीसी बैंक से आंकड़े को चुरा लिया गया था, जो बाद में फ्रांस पहुंच गए और वहां से सरकार को सूचना मिली।इससे पहले सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को तीन खातेदारों के नाम बताए थे।