नई दिल्ली,(एजेंसी) 10 नवम्बर । शिवसेना नेता सुरेश प्रभु को कैबिनेट में जगह देने के लिए बीजेपी और खुद नरेंद्र मोदी कितने उत्साहित थेए इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि प्रभु के लिए उन्होंने शिवसेना के साथ सुधर रहे रिश्तों को ही दांव पर लगा दिया है। बेहद लो प्रोफाइल माने जाने वाले प्रभु इससे पहले शिवसेना कोटे से ही वाजपेयी कैबिनेट में भी शामिल थे। बाद में उन्हें शिवसेना के कहने पर ही कैबिनेट से हटाया गया था लेकिन संयोग देखिए कि अब वे ऐसे वक्त में मोदी कैबिनेट में मंत्री बने हैंए जबकि शिवसेना और बीजेपी के रिश्ते बेहद नाजुक मोड़ पर हैं। उन्हें कैबिनेट में शामिल होने से चंद घंटे पहले ही बीजेपी में एंट्री दी गई है। इसी वजह से ही शिवसेना बेहद खफा है।
प्रभु में क्या है ऐसा
बीजेपी सूत्रों का कहना है कि दरअसलए इस वक्त पार्टी को ऐसे सुधारवादी नेताओं की जरूरत हैए जो मोदी के साथ कदमताल कर सकें। प्रभु की सोच और योग्यता से खुद मोदी भी प्रभावित हैं। वाजपेयी सरकार में प्रभु उद्योग, पर्यावरण, रसायन, केमिकल और पावर मिनिस्टर रहे हैं। यही नहींए वाजपेयी सरकार के कार्यकाल में जब नदियों को जोड़ने की योजना बनाई गई तो उस कमिटी के चेयरमैन भी खुद प्रभु ही थे। इसके अलावा वह पावर, कोल, रिन्यूएबल एनर्जी रिवेम्प ग्रुप के चेयरमैन भी रहे हैं।